भाव -कणिका :टके सेर भाजी ,टके सेर खाजा .
जैसे मोहन का है राज ,न काम न काज ,
कैसा राजा कैसी प्रजा ,चारों तरफ मज़ा है मज़ा ,
मज़ा ही मज़ा ,
देखो न भालो कुछ तो होश संभालो ,
बात पुरानी है कुछ कहती कहानी है ,
अंधेर नगरी ,चौपट राजा ,
टके सेर भाजी ,टके सेर खाजा .
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