गत पोस्ट से आगे ....
अपेक्षाएं बनती हैं तनाव का सबब .गीत है :मन रे तू काहे न धीर धरे ..(फिल्म: चित्र लेखा )इसी की इक कड़ी है :'उतना ही उपकार समझ कोई जितना साथ निभाये .....'फलसफा बनाइये इसे जीवन का ।क्यों अपेक्षाओं में जीते हैं आप .व्यक्ति को जो आपके साथ है आपका साथी है उसकी सीमाओं में अपनाना सीखिए ,संभावनाओं में नहीं .
और यह भी :मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया .....(फिल्म : हमदोनो )इसी की आगे की इक कड़ी है :जो मिलगया उसी को मुकद्दर समझ लिया ,जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया .प्रेरणा आदमी कहीं से ले सकता है .तनाव की काट है :पोजिटिव थिंकिंग और तनाव का पल्लवन करती है निगेटिव थिंकिंग ,नकारात्मक सोच .पोजिटिव रहिये तनाव से बचिए .मुश्किल नहीं है .राज योग में बैठिये .
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