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शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

मल्टी -पिल के लिए ऍफ़ डी ए ने पहली मर्तबा एक पिल को मंज़ूरी दी .

यू एस ,ऍफ़ डी ए एप्रूव्स फस्ट पिल फॉर मल्टी -पिल स्केलेरोसिस (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर २४ ,२०१० ,पृष्ठ २३ )।
अमरीकी दवा एवं खाद्य संस्था "ऍफ़ डी ए "ने मुह से खाई जाने वाली एक गोली (एक ओरल पिल )को मल्टी -पिल स्केलेरोसिस के सबसे ज्यादा आम स्वरूप के इलाज़ के लिए अपनी मंज़ूरी दे दी है ."गिलेन्य "या फिर "फिन्गोलिमोड़"नै दवाओं की श्रेणी की पहली ऐसी दवा है जो कुछ सुनिश्चित ब्लड सेल्स (ख़ास रक्त कोशाओं )को दिमाग और स्पाइनल कोर्ड तक नहीं पहुँचने देगी .ऐसे में रोग की गंभीरता सहज ही कम हो जायेगी .और रोग बारहा लौट लौट कर भी नहीं आ घेरेगा ।
मल्टी -पल स्केलेरोसिस के इलाज़ में इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है ,क्योंकि इस पेचीला न्यूरो -लोजिकल कंडीशन में बारहा सुइंयों की ज़रुरत पडती रही है .जो कई मर्तबा बर्दाश्त के बाहर दर्द के रूप मेझेलने पडतें ही हैं ।
दुनिया भर में कोई पच्चीस लाख लोग इस स्नायुविक रोग से असर ग्रस्त रहतें हैं .यह एक लाइलाज और जद जामाए रहने वाला एक पेचीला एकदम से अशक्त बनादेने वाला रोग है जो "मयेलिन "को निशाना बनाता है ।
मयेलिन :केन्द्रीय स्नायुविक तंत्र (सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम ) में मौजूद माई -लिन शरीर की अनेक नसों पर चढ़ा वसीयपदार्थों (फैटी सब्स्तेंसिज़ )का आवरण (खोल )होता है जिससे संदेशों की गति बढ़ जाती है .इसे धवल -मज्जा -आच्छद

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