टाकिंग टू डेथ :सेल्स बेड फॉर रोड (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर २५,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
अमरीकी शोधकर्ताओं के अनुसार गाडी चलाते हुए सेल फोन पर बतियाते या फिर टेक्स्तिंग करते हुए नौज़वानों ने २००१ -२००७ के दरमियान १६ ,००० लोगों को मौत के घाट उतारा .वजह बना ड्राइविंग से ध्यान हठना ।
मोबाइल टेलीफोन दिस्ट्रेक्तशन फोन करते बतियाते कितनो की जान ले बैठा इसका वैज्ञानिक जायजा पहली मर्तबा लेने पर पता चला इनमे अधिकाँश तीस साल से नीचेके युवा थे जिनकी तादाद लगातार बेतहाशा बढ़ रही है .
यूनिवर्सिटी ऑफ़ नोर्थ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के फेरनान्दो विल्सन तथा जिम स्तिम्प्सों ने अमरीकन जर्नल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ में इस अध्ययन के नतीजे प्रकाशित करते हुए बतलाया है हाल में जिस तेज़ी से टेक्स्टिंग का वोल्यूम बढा है वैसे ही वैसे इस प्रकार की बिन बुलाई मौतों में भी इजाफा हुआ है .
आपने हरेक राज्य से सेल फोन जन्य मौतों का आंकडा जुटाया है .२०१-२००२ के बाद से टेक्स्टिंग वोल्यूम कई सौ %बढा है .जहां २००२ में हर माह सिर्फ १० लाख टेक्स्ट मेसेज भेजे जाते थे वहीँ यह तादाद २००८ में बढ़कर ११ करोड़ प्रति माह तक पहुँच चुकी थी .और यह सब रोड -फेटल -ईटीज़ इन्हीं टेक्स्ट मेसेजिंग से ध्यान भंग होने का नतीजा थीं .२००१ से अध्ययन संपन्न होने तक (२००७ ) १६,००० लोग इन्हीं बेहूदा वजहों से मौत के मुह में चले .गयेथे . करे कोई भरे कोई .
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