पेज

गुरुवार, 23 सितंबर 2010

गहरी -मूर्च्छा (कोमा )में जा चुके लोग बात कर सकेंगें ,चलफिर भी

ई ई जी -लाइक डिवाइस कैन हेल्प कोमा विक्टिम्स वाक् ( वाल्क एंड टाल्क)एंड टाक (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई सितम्बर २२ ,२०१० )।

मृतप्राय :व्यक्ति को जगाया जा सकेगा ?
एक चोटी के ,नाम -चीन ब्रितानी न्यूरो -साइंसदान ने दावा किया है ,एक दिन गहरी -मूर्च्छा (गहन निद्रा या कोमा ,प्राय :गंभीर बीमारी या चोट से उत्पन्न लम्बी अवधि की अचेतन अवस्था )में जा चुके लोग बातचीत कर सकेंगें आसपास तक घूम भी सकेंगें ।
एड्रियन ओवेन (कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय )पहले ही फंक्शनल मेग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग की मदद से यह दर्शा चुकें हैं ,कुछ लोग(पीड़ित ) जो ऊपर से देखने में जागरूक नहीं लगते वह ना केवल यह जान समझ लेतें हैं ,दूसरे उनके बारे में या आपस में क्या बात कर रहें हैं ,उनमे से कुछेक का ज़वाब भी दे सकतें हैं ।
अब ऐसा ही करिश्मा उन्होंने एक आम सस्ती सी छोटी सी एनसी -फेलोग्रेफ़ी मशीन से कर दिखलानेका दावा कर दिया है जो दिमागी विद्युत् -सक्रियता मापती बतलाती है .ओवन को यकीन है आइन्दा दस सालोंमे ही यह युक्ति आम-ओ -ख़ास को मयस्सर हो जायेगी .ओवेन कहतें हैं बेशक मुझे खुद यकीन नहींs,चंदi था मेंa ही हममरीज़s ऐसे संवाद कर सकेंगे जो पर -सिस्तेंट वेजिटे -टिव अवस्था में चला आया है .यानी जिसके शरीर को मशीनों से चलाया तो जा रहा है ,लेकिन दिमागी गति -विधि नदारद है .
ओवेन ने अपनी इस प्रागुक्ति (भविष्य कथन )की उस समय ही नींव रख दी थी जब वह २००३ में एक ऐसे २९ साला जवान का अध्ययन कर रहे थे जिसका एक कार दुर्घटना में ब्रेन डेमेज हो चुका था .यह व्यक्ति दो साल कोमा में बने रहने के बाद परसिस्टेंट वेजितेतिव स्टेट में चला आया था .वह ऊपर से देखने में जागरूक लगता था ,कभी -कभार पलकें भी झपकाता था लेकिन अलावा इसके उसे बाहरी दुनिया की कोई भी सुध नहीं थी ।
ओवेन की टीम तथा लिएगे विश्वविद्यालय के स्टेवें लौरेय्स ने मिलकर पता लगाया ,उसकी ब्रेन -एक्टिविटी की टाप्पिंग करके उससे संवाद संभव था ।
एक ऐसे ई ई जी से जो देखने में एक तैराक की टोपी सा लगता है जिसमे अनेक इलेक्ट्रोड्स टंके रहतें हैं , दिमाग में न्युरोंस की फायरिंग ,दिमागी एक्टिविटी दर्ज़ की जाती है .इस ई ई जी मशीन का उठाऊ संस्करण (पोर्टेबिल वर्सन )२०,००० -३०,००० पोंड्स कीमत का आयेगा .

2 टिप्‍पणियां: