कुएं का मेंडक कुएं को ही जलाशय समझने लगता है लेकिन राज ठाकरे तो रहते ही समुन्दर के पार्श्व में हैं। जिस ऊँट ने पहाड न देखा हो वह अपने आप को पहाड से ऊंचा समझे तो बात समझ में आती है लेकिन जो रहता ही पहाड़ के नीचे हो और ख़ुद को पहाड़ से ऊंचा समझे है उसे "राज ठाकरे' कहते हैं। विश्व नगरी मुंबई का मूल स्वरुप और स्वभाव ऐसे ऊंटों के चलते छीजने लगा है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते मुंबई समुन्दर के नीचे डूबे न डूबे भावाशियावानियाँ ग़लत भी होती हैं लेकिन राज जन्य आपदाएं मुंबई को डुबोने लगी हैं।
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