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मंगलवार, 22 जनवरी 2013

पहले तौलो फिर बोलो

पहले तौलो फिर बोलो 

शब्दों की आग कई मर्तबा फैलती  ही चली जाती है .शब्दों की लपट बे काबू 

हो जाती है .

शिंदे साहब ने हिन्दू धर्म (शब्द)पर जो लेवल दहशतगर्दी का लगाया है -

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के संरक्षण में भारत में 

आतंकी कैम्प चलाये जाने का आरोप मढ़ा है .उन्हें शायद न मालूम  हो 

इसमें दो बड़ी खामियां हैं .हिंदुत्व जीवन शैली ,वृहद् भारत धर्मी समाज को 

इस आरोप ने कलंकित किया है . यह एक धर्म की ही तौहीन नहीं एक 

सहिष्णु ,सर्वसमावेशी ऐसी परम्परा का निरादर  है जहां देव कुल को 

लेकर कोई झगडा नहीं है .पूर्ण प्रजा तंत्र है .एक देववादी कट्टरता को यहाँ 

कोई जगह नहीं दी गई है .

शब्द जनित ऐसी ही आग तब लगती है जब कोई स्वघोषित लादेन 

इस्लामी 

मसीहा बनकर जघन्य अपराध करता है करवाता .9/11 इसका ज़िंदा सबूत 

है .इसी के बाद से एक शब्द हवा में तैरता अफवाह की तरह  ऊपर और 

ऊपर बिना पंख के पाखी सा अफवाह बन उड़ता गया' इस्लामिक टेररिज्म '

 ,और' इस्लामो -

फोबिया' में तब्दील हो गया .पूरी मुस्लिम कौम बदनाम हुई .जबकि कौमे 

और मजहब आतंक वादी नहीं होते ,कुछ स्व:घोषित खलीफाओं फतवा 

खोरों द्वारा बरगलाए गए लोग ज़रूर आतंकवादी बन जाते हैं .

शाहरुख खान को इसीलिए बारहा अमरीका में धर लिया जाता है .

शिंदे साहब को जो देश के गृह मंत्री हैं शब्दों के चयन में सावधानी बरतनी 

चाहिए थी .

दूसरी खामी यह है उनके द्वारा लगाए गए आरोपण में जान होनी चाहिए 

.सामने लायें वह सत्य को यदि ऐसा कुछ है तो .जब तक न्यायालय उनके

 खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं करता ,उन्हें अपराधी नहीं घोषित करता आपका 

शिंदे साहब  ऐसा कहना दुस्साहस ही कहा जाएगा .आपके  पास तो जांच 

रपट भी है आर एस एस और बी जे पी के तत्वावधान  चलने वाले आतंकी 

कैम्पों की .द्रुत न्यायालय गठित करने का दौर है यह .आपको ऐसा भी 

 करने से 

रोकने वाला  कोई नहीं है .क्यों नहीं करवा देते  आप  दूध का दूध और पानी 

का पानी .

शब्द बूमरांग  करते हैं शिंदे साहब .

यू केन पुट योर एक्ट टुगेदर .

6 टिप्‍पणियां:

  1. विल्कुल सही कहा आपने सोच समझकर बोलना चाहिऐ युँ ही जगहसाई किस काम का ।

    आज बहुत दिनो के बाद एक कहानी लिखी अपने ब्लाँग उमँगे और तरंगे पर कहानी मेँ हैँ एक रात कि बातएक रात की बात हैँ आँसमा के चाँद को शुकून से देख रहा था बस देख रहा था कि चाँद को और चाँदनी रात हो गयी और एक रात वह थी जो चाँद को देख रहा था...[ पुरा पोस्ट पढने के लिए टाईटल पर क्लिक करेँ ]

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  2. काबुल में करता रहा, तालिबान विध्वंस |
    मुख्य विपक्षी है वहाँ, लगातार दे डंस |
    लगातार दे डंस, बड़ा आतंकी दल है |
    लांछित भाजप-संघ, राष्ट्र का बल-सम्बल है |
    फिर भी तुम बेचैन, बहुत हो जाते व्याकुल |
    अंड-बंड बकवास, बनाना चाहो काबुल ||

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  3. बिलकुल सही कहा है .... कौम कोई आतंकवादी नहीं होती .... हमारे देश के नेता तो बहुत ही महान काम करते हैं जो आतंकवादी हैं उनको साहब और जी के संबोधनों से नवाजते हैं ....

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  4. विल्कुल सही कहा आपने सोच समझकर बोलना चाहिऐ...

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  5. ये स्‍वयं आतंककारी है इसलिए इन्‍हें दूसरे ही ऐसे ही लगते हैं।

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