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शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

गुरिल्ला के सौजन्य से हमतक पहुंचा है मलेरिया परजीवी ?

साइंसदानों का कहना मलेरिया की सबसे खतरनाक किस्म हम तक एक अफ़्रीकी बन्दर जो काले या भूरे बालों से ढका रहता है (गुरिल्ला /गोरिला /वनमानुष )से पहुंची है .मलेरिया परजीवी की पाँचों स्ट्रेंस में से सबसे खतरनाक और मारक स्ट्रेन (किस्म या प्रजाति ) परजीवी प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम है जो हर साल कई करोड़ लोगों को रोग संक्रमित कर देता है इनमे से तकरीबन दस लाख मामले घातक साबित होतें हैं ।
अनाफलीज़ मादा मच्छर के हमारे शरीर का रक्त पान(ब्लड मील ) करने के बाद यह परजीवी हमारे पास पहुंचता है .अब तक साइंसदान यही मानते समझते आयें हैं यह परजीवी हम तक चिम -पांजी(एक बिना पूंछ का अफ्रीका में पाए जाने वाला बन्दर ) की मार्फ़त ही पहुंचा है ।
चिम्प -पैंजी अपने किस्म का अलग मलेरिया परजीवी "प्लाजमोडियम रेइचेनोविस "का वाहक है .पी -फाल्सीपेरम को अबतक इसी की एक स्ट्रेन समझा जाता रहा है ।
इस परिकल्पना का पोषण इस अन्वेषण से भी हुआ की एड्स का वायरस "एच आई वी -एड्स "भी हम तक इसी चिम्प -पैंजी की मार्फ़तजहां तक संभव है पहुंचा है ।
अनुमान यह भी था अफ़्रीकी जंगली जानवरों का गोश्त खाने से ही यह वायरसऔर मलेरिया भी आदमी तक आ पहुंचा .पहला शिकार इसका एक ऐसा ही आदमी हुआ जो या तो इन जानवरों का गोश्त संशाधित करता था या खाता था ।
लेकिन मलेरिया के उद्गम को ओरिजिन को लेकर ब्रितानी विज्ञान साप्ताहिक पत्रिका नेचर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक़ हमारे एक और ग्रेट एप कजिन गोरिल्ला से हम तक पहुंचाहै यह परजीवी . .धीरे धीरे इसका अनुकूलन हमसे हो गया .इसने हमें ही गले लगा लिया ।
अपनी परिकल्पना के पोषण के लिए साइंसदान बेअत्रिस हाह्न (अलबामा विश्वविद्यालय )ने तकरीबन ३००० साम्पिल्स वाइल्ड लिविंग ग्रेट एप्स -चिम्प्स ,गुरिल्ला तथा बोंबोस के मल ,द्रोप्पिंग्स , के केन्द्रीय अफ्रीका के मैदानों से जुटाए . इनमे हर संभव प्लाजमोडियम रोगकारक (पैथोजन ) के डी एन ए क्रम(सिक्वेंस ) का पता लगाया .
गौर तलब है :"ऑन दी प्लाजमोडियम फेमिली ट्री ,ए "नियरली आई -देन्ति -कल "मेच फॉर पी .फाल्सीपेरम वाज़ फाउंड इन फीसीज़ (विष्ठा ,मल ,एक्स्क्रीता ,द्रोपिंग्स ) इन वेस्ट -रन गोरिल्लाज़ रादर देन इन चिम्प्स .,दी रिसर्चर्स फाउंड ।
एकल क्रोस स्पीशीज इवेंट साइंसदानों के मुताबिक़ इस ट्रांस -मिशन (संचार या अंतरण की इन जानवरों से हम तक ) की संभवतय रही हो .लेकिन ऐसा कब हुआ यह अभी अनुमेय ही है .अनुमेय ही अभी यह भी बना हुआ है ,क्या गुरिल्ला आज भी बारहा ,आवर्ती तौर पर मनुष्यों को होने वाले रोग संक्रमण की वजह बना हुआ है .भण्डार घर है .रिज़र्वायर है प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम का ?

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