गुरुवार, 28 जनवरी 2010

विकिरण चिकित्सा के नुक्सानात (ज़ारी ...)


बेशक जान बूझकर कोई किसी की जान नहीं लेता .लेकिन यहाँ तो कसूर वार मशीनें हैं ,सोफ्ट वेयर है .एनेस्थेटिक देने वाली मशीनें भी ऐसी ही गलती करतीं हैं .सुरक्षा नियमों की धज्जियां यूँ ही उडती रहतीं हैं ।
बेशक विकिरण ट्यूमर पर ज़ोरदार बमबारी करता है ,पिन पॉइंट फ़ोकसिंग भी हो जाती है ,लेकिन विकिरण चिकित्सा के पेचीला पन ने नै मुश्किलें पैदा कर दीं हैं .सोफ्ट वेयर फ्ला से लेकर फाल्टीप्रोग्रेमिंग ,सुरक्षा उपकरणों की कमी बेशी के साथ साथ विकिरण चिकित्सा कर्मियों का अभाव कुल मिलाकर विकिरण चिकित्सा को सवालों के दायरे में ले आतें हैं .यही गलतियां जान लेवा हो जातीं हैं ।
जून २००९ में फिलाडेल्फिया के अस्पताल में प्रोस्टेट कैंसर के ९० मरीजों को गलती से ओवरडोज़ देने के बाद चुप्पी साध ली थी .

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