मंगलवार, 1 सितंबर 2009

कुछ को कसरत से ही आराम आ जाता ,इंजिओप्लास्ती से बचे रहतें हैं .

कसरत के अपने फायदे जग ज़ाहिर हैं ,आज से नहीं बरसों से ,एल डी .एल .दिल के लिए खतरनाक खून में घुली चर्बी एच .डी .एल .यानी लाभ कारी चर्बी में बदलने लगती है ,नियमित कसरत से ,अग्नाशय की बीटा सेल्स (पेंक्रिएतिक सेल्स ) खून में घुली शक्कर का बेहतर संशाधन करने लगती हैं .अपशिष्ट की निकासी बेहतर ढंग से होने लगती है ,खून की नालियों का अस्तर (लाइनिंग )साफ़ सुथरा बेहतर बना रहता है .अलबत्ता आप को कितनी औ कब कसरत करनी है इसका फैसला आप अपने हृदय रोगों के माहिरों पे छोडिये ।
बेशक पूर्व -संपन्न अध्धययन बतलातें हैं ,हर हफ्ता सिर्फ़ दो घंटा की तेज़ चहल-कदमी (ब्रिस्क वाकिंग )एक तिहाई हृदय -रोग तथा स्ट्रोक को मुल्तवी रखा जा सकता है ,बच सकतें हैं ,मैं औ आप ।
अकेले ऐसा करने से अमरीका में ही २,८० ,०००लोगो को कोरोनरी आर्टरी दीजीजिज़ से बचाया जा सकता है ,जो मौत के मुह में चले जा तें हैं ।
लेकिन लोगबाग एक घंटा की इंजिओप्लास्ती औ आधा घंटा की उससे पूर्व कभी की गई ,एनजीओ -ग्रेफी (धमनी अवरोध ,रूकावट का पता लगाया जाता है ,इस विधि से ) को तरजीह देतें हैं ।
जीवन का ढर्रा ही बदल गया है ,किसके पास फुर्सत है -बेफिक्र सैर करने प्राकृति से जुड़ने की ?
बार- सीलोना में एक बैठक में बतलाया गया है ,कसरत सब के लिए अच्छी है ,लेकिन कुछ के लिए इसके फायदे इंजीओप्लास्ती से ज्यादा हैं .खून की नालियों को खोलने की विधि है -इंजीओप्लास्ती ,जो इन्हें एक अति -सूक्ष्म बेलून की मदद से वैसे ही खोल देती है जैसे बंद sandaash ,sink ko को आप खोल देतें हैं .यह नन्ना गुब्बारा एक केथीतर महीननली के अगले सिरे पर होता है ,बस नाली खोल कर एक बाल पेन के रिफिलआगे पड़े स्प्रिंग सा एक स्टंट लगा दिया जाता है .हमें नहीं पता इस रिफिल के स्प्रिंग की कीमत इतनी ज्यादा क्यों रख्खी गई है ?सरासर नाइंसाफी है यह ।
पश्चिमी जर्मनी में एक अध्धययन में बतलाया गया है ,वे हृदय रोगी जो नियमित घंटा भर साइकिल चला रहे थे उनमें से ९० फीसद एक साल में धमनी अवरोध से मुक्त हो गए ,लेकिन इंजीओप्लास्ती कर्वाचुके लोग साल भर में ७० फीसद ही रोग मुक्त हुए ।
दरअसल दोबारा धमनी को बंद होने में सिर्फ़ सात साल लगतें हैं ,यदि खान पान दुरुस्त ना किया जाए ,जबकि पहली मर्तबा ऐसा होने में ४० साल तक लग सकतें हैं .खान पानी ,रहनी -सहनी बदलना भी तो बहुत ज़रूरी है ।
बात साफ़ है ,कुछ लोगों के लियें कसरत ज्यादा असरकारी साबित होती है खून की नालियों को खोलने में .,बरक्स एन जियो प्लास्टी के ।
अलावा इसके एनजीओ प्लास्टी एक ही बंद धमनी की सुध लेती है ,वन वेसिल ब्लोकेज़ में असरकारी है ,यह कहना है ,क्रिस्टोफर केनन का जो हारवर्ड विश्व -विद्द्यालय में काय -चिकित्सा के एसोसिएट प्रोफेसर हैं .

1 टिप्पणी:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

हम आप की बात से सहमत हैं।
बहुत अच्छा ब्लाग है।
पर ये वर्ड वेरीफिकेशन तो हटाएँ।