tag:blogger.com,1999:blog-232721397822804248.post1909804817330744169..comments2024-03-28T07:22:54.883+05:30Comments on ram ram bhai: क्या पारखी दृष्टि पाई है आँखों में इंच टेप लिए फिरते हैं आप या सी टी स्केन ?virendra sharmahttp://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-232721397822804248.post-41234568810182361422013-01-31T09:37:58.333+05:302013-01-31T09:37:58.333+05:30आकर्षण सब में हैं और सब आकर्षित भी होते हैं, पर कब...आकर्षण सब में हैं और सब आकर्षित भी होते हैं, पर कब वह वीभत्स होने लगता है, पता ही नहीं चलता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-232721397822804248.post-92129957502046430352013-01-31T09:25:21.780+05:302013-01-31T09:25:21.780+05:30मानव शरीर की रचना पशुओं से इतर है। वे चार पैर पर च...मानव शरीर की रचना पशुओं से इतर है। वे चार पैर पर चलते हैं और मनुष्य दो पैर पर। इसलिए ही मनुष्य को वस्त्र की आवश्यकता हुई। मनुष्यों और पशुओं में एक और अन्तर है वह है समाज का। हम समाज से प्रतिबंधित हैं। हम किसी के साथ भी शारीरिक रिश्ता नहीं बना सकते, इसे गैर कानूनी कहा जाता है। यदि आप किसी महिला के वस्त्र देखकर उसके प्रति उन्मादी हो रहे हैं तब भी आप कानून से बंधे हैं। यदि आपने कानून तोड़ा तो आप अपराधी हैं। सभ्य समाज में उन्मादी व्यक्तियों को बांधकर रखा जाता है, खुला नहीं छोड़ा जाता है। महिलाओं के वस्त्रों की टीका-टिप्पणी का अधिकार तभी मिलेगा जब आप पुरुषों के चरित्र पर भी अंगुली उठाएंगे। एक प्रश्न पूछना चाहती हूँ कि आज पुरुष स्त्रैण क्यों दिखना चाह रहा है? सलमान से लेकर अधिकांश एक्टर अपने सीने के बाल क्यों वेक्सीन कराते हैं? इस घृणित कर्म पर क्या कभी किसी ने चर्चा की है?अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-232721397822804248.post-32848729698785796332013-01-31T00:08:16.866+05:302013-01-31T00:08:16.866+05:30बहुत सही वाह!बहुत सही वाह!चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-232721397822804248.post-33400570239722883752013-01-31T00:06:59.313+05:302013-01-31T00:06:59.313+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-232721397822804248.post-61223645796591908322013-01-30T20:18:24.070+05:302013-01-30T20:18:24.070+05:30तर्क के मज़बूत हथौड़े से किया गया
ज़ोरदार प्रहार ,...तर्क के मज़बूत हथौड़े से किया गया <br />ज़ोरदार प्रहार ,बात परोसने की नहीं है,<br /> बात मर्यादा से जुडी है ,महिला कोइ <br />बस्तु नहीं है जिसको परोसने की बात <br /> की जाय.सबका अपना आत्म विश्वास और खुद पे भरोसा अलग अलग है <br />यथास्थिति परकबाद एक घातक<br />हथियार है ,Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14500351687854454625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-232721397822804248.post-67362849119683187632013-01-30T20:08:41.982+05:302013-01-30T20:08:41.982+05:30डर लगता सौन्दर्य से, वाह वाह रे मर्द |
हुआ नपुंसक ...डर लगता सौन्दर्य से, वाह वाह रे मर्द |<br />हुआ नपुंसक आदमी, गर्मी में भी सर्द |<br />गर्मी में भी सर्द , दर्द करती है देंही |<br />करे बयानी फर्द, बना फिर रहा सनेही |<br />रविकर यह सौन्दर्य, बनाता दुनिया सुन्दर |<br />पूजो तुम पूर्वज, बनो लेकिन मत बन्दर ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-232721397822804248.post-38413425804712723762013-01-30T19:02:16.064+05:302013-01-30T19:02:16.064+05:30अच्छा तर्क और विश्लेषणअच्छा तर्क और विश्लेषणAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07358539338823945647noreply@blogger.com