सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

सेहत के नुश्खे और बहुत कुछ :शोक संतप्त व्यक्ति को दवा नहीं दया की ज़रुरत होती है .

सेहत के नुश्खे और बहुत कुछ :
लौह तत्व का भरपूर स्रोत है केला :केला आयरन प्रचुरता में मुहैया करवाता है तथा शरीर के हिमोग्लोबिन के प्रकार्य को सुचारू रूप चलाये रखता है .
Bananas are rich in iron content and help the body;s haemoglobin function.
अंडा कुदरती विटामिन डी  से युक्त रहता है .विटामिन डी हमारी अश्थियों (हड्डियों ) की मजबूती के लिए ज़रूरी है .
Eggs contain naturally occurring  Vitamin D,which is good for the bones.
संतरे विटामिन सी से भरपूर हैं .इनका सेवन हमारे    शरीर को अनेक संक्रमणों से बचाए रहता है .अनेकानेक संक्रमणों का मुकाबला करने की क्षमता प्रदान करता  है हमारे शरीर को  .
Oranges are rich in Vitamin C and help the body fight against infections  .
काजू एकल असंत्रिप्त वसाओं से युक्त रहतें हैं .ये मोनो -अन -सेच्युरेतिद -फेटि एसिड्स हमारे दिल के लिए मुफीद रहतें हैं .दिल के दोश्त  हैं .ये वसाएं अमित्र कोलेस्ट्रोल (LDL CHOLESTEROL)की मात्रा को कम करने तथा मित्र कोलेस्ट्रोल ( HDL CHOLESTEROL)के  स्तर को बढाने में मददगार सिद्ध होतें हैं .
Cashew nuts are rich in heart- friendly monounsaturated fatty acids that help lower bad cholesterol and increase good cholesterol. 
राम राम भाई !  राम राम भाई !
शोक संतप्त व्यक्ति को दवा नहीं दया की ज़रुरत होती है .
Grief is not an illness to be cured by pills ,say docs/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,MUMBAI ,FEB18,2012,P21.
'दी लांसेट' जर्नल ने अपने एक सम्पादकीय में 'शोक ' को बीमारी  मानने से साफ़ इनकार किया है . सम्पादक मंडल ने दो टूक कहा  अपने अति परिजन के निधन से उपजा 'शोक 'एक मानसिक बीमारी नहीं है .शोक संतप्त व्यक्ति को दया ,सहानुभूति ,तदानुभूति की ज़रुरत होती है न की दवा की .ज़रूरी है उसके दुःख में शरीक होना .समय का इंतज़ार करना जो सारे घाव भर देता है .ऐसे में चिकित्सकों को दवा लिखने की जल्दी नहीं मचानी चाहिए .दवा लिखने से बाज़ आना चाहिए .इधर कुछ चिकित्सक और माहिर एक्सट्रीम इमोशंस को मानसिक बीमारी घोषित करवाने की तैयारी में हैं .जबकि दुःख और अपनों के विछोह से उपजा मानसिक दुःख बोध ,क्लेश एक सहज मानवीय सरोकार है . एक मन :स्थिति है दुखानुभूति की वेदना की .सहज अनुक्रिया है बिछुड़ने की .जिसमे सहज ही मन के आवेग से प्रस्फुटित होता है :जाने चले जातें हैं कहाँ ,दुनिया से जाने वाले .
क्रोंच पक्षी के बहेलिया द्वारा वध को देखके बाल्मीकि के मन से सहज निकला था -
पहला गीत .जिसे सुमित्रानंदन पन्त ने कुछ यूं अभिव्यक्त किया -
वियोगी होगा पहला कवि,आह से निकला होगा गान ,
निकलकर अधरों से चुपचाप ,बही होगी कविता अनजान .
दिवंगत की  स्मृति में दो शब्द कहना .आदर पूर्वक उसे याद करना मरहम का काम करता है इसीलिए दिवंगत को पुष्पांजलि दी जाती है उसकी स्मृति में मौन रखा जाता है उसके निमित्त श्राद्ध रखा जाता है .दुःख का विरेचन ही दवा है .स्यापा करने का चलन भी इसी विरेचन से प्रेरित रहा होगा .    
      

10 टिप्‍पणियां:

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी।
शोक की अनुभूति तो मनुष्य के लिए वरदान है। यदि शोक का अस्तित्व न होता तो दुनिया कितनी नीरस होती। अब तक रचे गए आधे गीत-संगीत अस्तित्व में ही नहीं आते !

अशोक सलूजा ने कहा…

मूंगफली ,हरी मटर ,करी पत्ता आदि ....
केला ,अंडा ,संतरा ,काजू,आदि ....
और दवा नही दया ....
वीरू भाई !आप के ब्लॉग पे आज आयें हम ..
ये फैसला करके ,ये नुस्खे आजमा कर अब हम
भी देखेंगे ..कि वीरू भाई हम भी देखेंगे ..हा हा हा
आभार आपका !
राम-राम !

Aruna Kapoor ने कहा…

बहुतसे खाद्यपदार्थीं के गुणधर्म और मानसिक तौर पर भी दया और प्रार्थना द्वारा उपचार का आपने बखूबी उल्लेख किया है...उपयुक्त पोस्ट!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

रेखा ने कहा…

सेहत के कारगर नुस्खे के लिए आभार ...

Maheshwari kaneri ने कहा…

सच कहा ....उपयोगी और जानकारीयुक्त आलेख के लिए आभार....

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

उपयोगी जानकारी। आभार।

Arvind Mishra ने कहा…

शोक एक आत्मोपचार है -सच कहा लैंसेट और आपने !

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

जी सहमत हूँ आपसे...... अच्छी जानकारी भी मिल गयी.....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

केला संतरा और फिर दया ...
शोक में सांत्वना की जरूरत होती है ...लाभकारी जानकारी ...