सोमवार, 7 सितंबर 2009

भग शिश्न क्या है ,क्या है इसका मैथुन में महत्व ?

पेनिस (पुरुष लिंग )का समतुल्य है -क्लिटोरिस या भग-शिश्न .शिश्न का अर्थ लिंग (पुरुष जननांग ही तो है ).यह महिला जननांग का सबसे ज्यादा संवेदी बाहरी अंग है .ज़रा ज़बान से लिकिंग की और रस धार अविरल प्रवाहित (काम सूत्र -वात्सायन ).यह भी उतेजन में कठोर हो कर तन जाता है ,कम्पन करता है ।
ऐ हाइली सेंसिटिव एरेक्टाइल ओर्गें -एन विसिबिल अत दीफ्रंट जंक्शन आफ दी लिबिया माइनोरा इन दी वल्वा इस कॉल्ड क्लिटोरिस ।
यौन क्रिया में इस अंग की हिस्से दारी का मतलब काम याब मैथुन ,जिसमे महिला के यौन शिखर को छूने की सारी हदें टूट सकतीं हैं ।इस अंग को उत्तेजन प्रदान करने वाले यौन आसनों का कामसूत्र में पर्याप्त ज़िक्र है .मैथुन सृष्ठी का लेखन है ,एक मुग्धा वस्था है ,मन की ,एक आलोडन है तन का ,एक समर्पण है दूसरे को सुख सागर में डूबकी लगवाने के निमित्त .यहाँ जो तेरा है ,वो मेरा है ।
आचार्य रजनीश ने तो इसे समाधि की स्तिथि कहा है .यहाँ मन का तन में विलोप है .नहीं पन है ,स्व का ।
अलबत्ता स्त्री का हर अंग उत्तेजन माँगता है -नख शिख छुअन.कौन सा अंग ओर्गेस्म को कब आन करदे इसका कोई निश्चय नहीं ।
पता लगाइए इन संवेदी शरीर -अंगों का .

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

ACHHI JANKAARI MILI AAPKA BAHUT-BAHUT SHUKRIYA